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عرض المشاركات من أبريل, 2025

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन

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 छत्रपति शिवाजी महाराज: एक महान योद्धा और                            राष्ट्र निर्माता 1. प्रस्तावना छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। वे एक महान योद्धा, दूरदर्शी नेता, और महान राष्ट्र निर्माता थे। उनका जीवन वीरता, रणनीतिक कौशल, और समर्पण से भरा हुआ था। 1630 में जन्मे शिवाजी महाराज ने भारतीय उपमहाद्वीप में एक नया राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनके संघर्ष और विजयों ने न केवल महाराष्ट्र बल्कि समूचे भारत को स्वतंत्रता की दिशा में एक नया मार्ग दिखाया। 2. शिवाजी का जन्म और प्रारंभिक जीवन छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था। वे शाहजी भोसले और Jijabai के पुत्र थे। उनका नाम पहले "शिवाजी" रखा गया, और बाद में उन्हें "छत्रपति" का सम्मान मिला, जो उन्हें राज्य और प्रजा के प्रति अपनी निष्ठा और नेतृत्व के कारण मिला। शिवाजी के बचपन में ही उनके माता-पिता ने उन्हें सैन्य और शासकीय मामलों की शिक्षा दी। उनकी मां जीजाबाई ने उन्हे...

गौतम बुद्ध: अज्ञान से बोध तक की यात्रा

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गौतम बुद्ध (563 ई.पू. – 483 ई.पू.) : अज्ञान से बोध तक की यात्रा 1. राजकुमार सिद्धार्थ का जन्म लगभग ढाई हजार साल पहले, नेपाल के लुंबिनी नामक स्थान पर शाक्य वंश के राजा शुद्धोधन और रानी माया देवी के यहाँ एक पुत्र का जन्म हुआ। उनका नाम रखा गया  सिद्धार्थ । जन्म के समय ही ऋषियों ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक या तो महान सम्राट बनेगा या महान संन्यासी।राजा ने यह सुनकर सिद्धार्थ को महल में ही सुख-सुविधाओं से घेर कर रखा। उन्हें कभी संसार का दुःख देखने नहीं दिया गया। परंतु सत्य को अधिक समय तक छुपाया नहीं जा सकता। 2. चार दर्शन और जीवन की करवट एक दिन सिद्धार्थ अपने सारथी चन्ना के साथ नगर भ्रमण पर निकले। वहाँ उन्होंने चार अद्भुत दृश्य देखे: एक बूढ़ा व्यक्ति एक रोगी एक मृत शरीर और एक संन्यासी इन दृश्यों ने उनके मन को झकझोर दिया। उन्हें पहली बार समझ में आया कि जीवन में  जन्म, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु  अपरिहार्य हैं। यह सब देखकर उनका मन संसार की मोह-माया से विरक्त हो गया। 3. गृहत्याग – महाभिनिष्क्रमण एक रात सिद्धार्थ ने अपने सोते हुए पुत्र राहुल और पत्नी यशोधरा को बिना जगाए देख लिया। उन्ह...

भगत सिंह: एक क्रांतिकारी आत्मा की अमर कहानी

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  भगत सिंह: क्रांति की मशाल और युवा चेतना का प्रतीक 1.  एक साधारण गांव से असाधारण यात्रा पंजाब के लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान) के बंगा गांव में 28 सितंबर 1907 को जन्मे भगत सिंह, एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते थे जिनकी रगों में देशभक्ति बहती थी। उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ पहले से ही सक्रिय थे। भगत सिंह ने बहुत कम उम्र में ही यह ठान लिया था कि वे अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित करेंगे। 2.  बाल्यावस्था में ही क्रांति की चिंगारी 13 साल की उम्र में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, तब भगत सिंह अमृतसर पहुंचे और वहां की खून से सनी ज़मीन देखी। यही घटना उनके अंदर एक सुलगती आग बना गई। उन्होंने किताबों और समाचार पत्रों के माध्यम से दुनिया की क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन शुरू किया। 3.  महात्मा गांधी से मोहभंग और क्रांतिकारी राह भगत सिंह पहले गांधीजी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित थे, लेकिन जब चौरी-चौरा कांड के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया, तो उन्हें अहिंसा की नीति से मोहभंग हो गया। उन्हें समझ में आ गया कि भारत को स्वतं...

महात्मा गांधी: एक सत्याग्रही का प्रेरणादायक संघर्ष

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1. प्रारंभिक जीवन महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। गांधीजी का पालन-पोषण एक धार्मिक और अनुशासित परिवार में हुआ। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे, और उनकी माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थीं। गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में प्राप्त की, और बाद में इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की। 2. दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष गांधीजी के जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ दक्षिण अफ्रीका में आया, जहां वे एक वकील के रूप में काम करने गए थे। वहां की जातिवाद और भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव ने उन्हें अचंभित कर दिया। उन्होंने "सत्याग्रह" नामक अहिंसात्मक प्रतिरोध का आंदोलन शुरू किया, जिससे भारतीयों को उनके अधिकार दिलाने में मदद मिली। दक्षिण अफ्रीका में गांधीजी ने अपने जीवन के सिद्धांतों का पहला परीक्षण किया और अहिंसा के साथ अपने संघर्ष को मजबूत किया। 3. भारत में स्वतंत्रता संग्राम महात्मा गांधी का भारत लौटने पर स्वागत किया गया, और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। उनका दृष्टिकोण भिन्न था—उन्होंने ह...

ए.पी.जे. अब्दुल कलाम: भारतीय मिसाइल मैन और प्रेरणास्त्रोत

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1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम, जिन्हें हम ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम से जानते हैं, 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम नामक छोटे से गांव में जन्मे थे। उनका परिवार बहुत साधारण था। उनके पिता जैनुलअब्दीन एक नाविक थे और उनकी माँ आशियम्मल घरेलू महिला थीं। वे एक धार्मिक और साधारण परिवार से आते थे, लेकिन उनके परिवार ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी।  कलाम जी की शिक्षा भी बहुत साधारण थी, लेकिन उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने रामेश्वरम के एक छोटे से स्कूल से प्राप्त की थी। फिर, उन्होंने मदुरै के एक कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) में प्रवेश लिया और एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा पूरी की। 2. करियर की शुरुआत शुरुआत में, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का करियर भारतीय रक्षा मंत्रालय के तहत शुरू हुआ। उन्होंने 1960 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान देना शुरू किया। वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए काम करते हुए उपग्रह प्रक्...

श्री सत्यनारायण व्रत कथा

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सत्यनारायण कथा के महत्व सत्यनारायण कथा का श्रवण करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह न केवल धार्मिक  दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और भौतिक सुख-शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। कुछ प्रमुख लाभइस प्रकार हैं:  समस्या का समाधान: सत्यनारायण कथा को श्रद्धा पूर्वक सुनने से जीवन की  तमाम समस्याओं का समाधान होता है। कठिनाइयाँ कम होती हैं और व्यक्ति को सही दिशा मिलती है। धन-धान्य की प्राप्ति: इस कथा का नियमित रूप से वाचन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और धन का आगमन होता है। मानसिक शांति: सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा से मानसिक शांति मिलती है। यह तनाव और मानसिक अशांति को दूर करती है। सच्चाई की शक्ति: सत्य बोलने और सच के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है, जिससे जीवन में नैतिक और आत्मिक उन्नति होती है। भगवान की कृपा: कथा में भगवान सत्यनारायण की कृपा की महिमा को बताया गया है, जिससे भक्तों को भगवान के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और सफलता मिलती है प्रथम अध्याय एक समय की बात है — नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अठ्ठासी हजार...

श्रीगोपाल सहस्त्रनाम स्तोत्रम्

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    अर्थ   ध्यानम्‌  कस्तूरीतिलकं ललाटपटले वक्ष:स्थले कौस्तुभं नासाग्रे वरमौत्तिकं करतले वेणुं करे कंकणम । सर्वाड़्गे हरिचन्दनं सुललितं कण्ठे च मुक्तावलि – र्गोपस्रीपरिवेष्टितो विजयते गोपालचूडामणि: ।।1।। फुल्लेन्दीवरकान्तिमिन्दुवदनं बर्हावतंसप्रियं श्रीवत्साड़्कमुदारकौस्तुभधरं पीताम्बरं सुन्दरम । गोपीनां नयनोत्पलार्चिततनुं गोगोपसंघावृतं गोविन्दं कलवेणुवादनपरं दिव्याड़्गभूषं भजे ।।2।। इति ध्यानम्‌ ऊँ क्लीं देव: कामदेव: कामबीजशिरोमणि: । श्रीगोपालको महीपाल: सर्वव्र्दान्तपरग: ।। धरणीपालको धन्य: पुण्डरीक: सनातन: । गोपतिर्भूपति: शास्ता प्रहर्ता विश्वतोमुख: ।। आदिकर्ता महाकर्ता महाकाल: प्रतापवान । जगज्जीवो जगद्धाता जगद्भर्ता जगद्वसु: ।। मत्स्यो भीम: कुहूभर्ता हर्ता वाराहमूर्तिमान । नारायणो ह्रषीकेशो गोविन्दो गरुडध्वज: ।। गोकुलेन्द्रो महाचन्द्र: शर्वरीप्रियकारक: । कमलामुखलोलाक्ष: पुण्डरीक शुभावह: ।। दुर्वासा: कपीलो भौम: सिन्धुसागरसड़्गम: । गोविन्दो गोपतिर्गोत्र: कालिन्दीप्रेमपूरक: ।। गोपस्वामी गोकुलेन्द्रो गोवर्धनवरप्रद: । नन्दादिगोकुलत्राता दाता दारिद्रयभंजन: ।। सर्वमं...

शिव तांडव स्तोत्रम्

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शिव तांडव स्तोत्रम् भगवान शिव की आराधना का अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसे रावण ने रचा था। यह स्तोत्र शिवजी के तांडव नृत्य, उनके रूप, शक्ति और तेज का वर्णन करता है। रोज़ इसका पाठ करने से साधक के भीतर शिवतत्त्व जाग्रत होता है। जटा टवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्य लम्बितां भुजङ्ग तुङ्ग मालिकाम्। डमड्ड डमड्ड डमड्ड मन्निनाद वड्डमर्वयं चकार चण्ड ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्॥ जटा कटाह संभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी विलोल वीचिवल्लरी विराजमान मूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्ट पावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम॥ धराधरेन्द्र नन्दिनी विलासबन्धु बन्धुर स्फुरद्दिगन्त सन्तति प्रमोद मानमानसे। कृपाकटाक्ष धोरणी निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि॥ जटा भुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि॥ सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः। भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटकः श्रियै चिराय जायतां चकोर बन्धुशेखरः॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ...

श्री सत्यनारायण व्रत कथा

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सत्यनारायण कथा के महत्व सत्यनारायण कथा का श्रवण करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह न केवल धार्मिक  दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और भौतिक सुख-शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। कुछ प्रमुख लाभइस प्रकार हैं: समस्या का समाधान: सत्यनारायण कथा को श्रद्धा पूर्वक सुनने से जीवन की  तमाम समस्याओं का समाधान होता है। कठिनाइयाँ कम होती हैं और व्यक्ति को सही दिशा मिलती है। धन-धान्य की प्राप्ति: इस कथा का नियमित रूप से वाचन करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है और धन का आगमन होता है। मानसिक शांति: सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा से मानसिक शांति मिलती है। यह तनाव और मानसिक अशांति को दूर करती है। सच्चाई की शक्ति: सत्य बोलने और सच के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है, जिससे जीवन में नैतिक और आत्मिक उन्नति होती है। भगवान की कृपा: कथा में भगवान सत्यनारायण की कृपा की महिमा को बताया गया है, जिससे भक्तों को भगवान के आशीर्वाद से जीवन में सुख, शांति और सफलता मिलती है प्रथम अध्याय एक समय की बात है — नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अठ्ठासी हजार ऋषि...